"प्रकृष्टो यज्ञो अभूद्यत्र तदेव प्रयागः"

पुण्यभूमि प्रयागराज
श्यामा जन कल्याण संस्थान

“प्रयागराज में इलाहाबाद कुछ ऐसे घुला मिला है जैसे गंगा यमुना के संगम में सरस्वती, जितना अदृश्य उतना ही दृश्य “
-अजय

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माघ मेला 2024

हिंदू धर्म के अनुसार, कुंभ, महाकुंभ, सिंहस्थ, अर्धकुंभ के साथ-साथ पौष और माघ मास की पूर्णिमा के समय नदी के किनारे कल्पवास करने का सबसे उचित समय माना जाता है। हर साल पौष मास की पूर्णिमा के साथ प्रयागराज में माघ मेला शुरू होता है। इस दौरान कल्पवास करने के लिए सैकड़ों लोग पहुंचते हैं।कल्पवास करने से सांसारिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

तीर्थराज प्रयागराज

वह भूमि जहां विशाल यज्ञ संपन्न हुआ हो वह प्रयाग है। पृथ्वी को बचाने के लिए भगवान ब्रह्मा ने यहाँ पर एक बहुत बड़ा यज्ञ किया था, वो स्वयं यज्ञ के पुरोहित बने, भगवान विष्णु यजमान एवं भगवान शिव उस यज्ञ के देवता थे।
श्यामा जन कल्याण संस्थान द्वारा इस वर्ष माघ मेले में कल्पवास हेतु प्रवास का प्रबंध किया गया है। भंडारे तथा प्रसाद के वितरण का भी प्रबंध किया गया है |
वर्तमान पता सेक्टर-5

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मैं तीर्थों का राजा प्रयागराज (Prayagraj) हूं. मेरा वर्णन सिर्फ इतिहास (History) में ही नहीं बल्कि वेदों, पुराणों और उपनिषदों में भी बड़ी महत्ता के साथ किया गया है. मैं सिर्फ नगर ही नहीं, बल्कि पूरे भारत (India) के आस्थावान लोगों के आस्था का केन्द्र भी हूं. मेरी गोद में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती खेला करती हैं. इस पावन धरती पर ऋषियों के ऋषि महर्षि भारद्वाज की तपोस्थली और आश्रम स्थित है. यहीं पर भगवान श्रीराम चन्द्र सीता और लक्ष्मण जी ने वन जाते हुए पहला प्रवास किया. मैं राम की चरणों की धूल भी हूं. हां, मैं प्रयागराज हूं.

prayagraj mahima

प्रयाग को तीर्थराज कहा गया है। इस सप्त‍पुरियों का पति कहा गया है जबकि उसके नजदीक काशी को उसकी सबसे प्रमुख पटरानी माना जाता है। पुराणों में कहा गया है कि अयोध्या, मथुरा, मायापुरी, काशी, कांची, अवंतिका (उज्जैन) और द्वारकापुरी, मोक्ष देने वाली हैं। इन्हें मोक्ष देने का अधिकार तीर्थराज प्रयाग ने ही दिया है।

प्रयाग तीर्थों के नायक हैं, तीर्थों के राजा हैं और मोक्ष देने वाली सातों पुरियां उनकी रानियां हैं। इनमें पटरानी का गौरव काशी को प्राप्त है। काशी तीर्थराज को सबसे ज्यादा प्रिय है। प्रयाग ने उन्हें मुक्ति देने का अबाध और अनंत अधिकार सौंप रखा है। पुराणकाल में उनके लिए कहा है- मुक्तिदाने नियुक्ता। वे मुक्ति देने के लिए नियुक्त की गई हैं।
महाभारत के एक प्रसंग में मार्कंडेय ऋषि धर्मराज युधिष्ठिर से कहते हैं कि राजन्‌ प्रयाग तीर्थ सब पापों को नाश करने वाला है। जो भी व्यक्ति प्रयाग में एक महीना, इंद्रियों को वश में करके स्नान-ध्यान और कल्पवास करता है, उसके लिए स्वर्ग का स्थान सुरक्षित हो जाता है। इसी तरह शताध्यायी के संदर्भों में त्रिवेणी और प्रयाग- अनेक पौराणिक आख्यानों के अनुसार प्रयाग को तीर्थराज के रूप में महिमामण्डित किया गया है।